भारत में पहली बार होने जा रही महिला को फांसी, सजा-ए-मौत पर राष्ट्रपति ने लगाई मुहर, जानिए कौन है ये और क्या है इसका अपराध

MATHURA: अपने पूरे परिवार का कत्ल करने वाली ‘शबनम’ अब ‘डेथ वारंट’ का इंतजार कर रही है। शबनम के संगीन गुनाह को देखते हुए महिला होने के बावजूद राष्ट्रपति भी उसकी अपील को ठुकरा चुके हैं। इससे पहले सर्वोच्च न्यायालय ने भी पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी थी, जिसके बाद मथुरा की जेल में शबनम को फांसी दिए जाने की तैयारी की जा रही है।

दरअसल, अमरोहा की रहने वाली शबनम ने 14 अप्रैल 2008 की रात अपने प्रेमी सलीम के साथ मिलकर अपने मां-बाप, दो भाई, एक भाभी, मौसी की लड़की और मासूम भतीजे को कुल्हाड़ी से काट डाला था। शबनम एमए पास करने के बाद शिक्षामित्र की नौकरी कर रही थी लेकिन प्रेमी को पाने की चाहत में अपनों के खून से हाथ रंगने वाली शबनम और उसके प्रेमी सलीम को सुप्रीम कोर्ट ने भी फांसी की सजा बरकरार रखी है। शबनम का एक बेटा भी है, जिसको शबनम ने मुरादाबाद जेल में रहते हुए जन्म दिया था। फिलहाल उसके बुलंदशहर निवासी दोस्त ने शबनम के बेटे को गोद लिया हुआ है।

वहीं रायपुर की जेल में बंद शबनम को फांसी देने के लिए मेरठ का पवन जल्लाद तैयार है। शबनम की फांसी की तारीख तय होते ही पवन मथुरा जेल के लिए रवाना हो जाएंगे। लगभग एक साल पहले मेरठ के पवन जल्लाद मथुरा जेल में बनाए गए फांसी घर का निरीक्षण कर चुके हैं। पवन ने बताया कि अभी मथुरा जेल के अधिकारियों ने उनसे संपर्क नहीं किया है। लेकिन वह शबनम को फांसी देने में बिल्कुल नहीं हिचकिचाएंगे क्योंकि महिला हो या पुरुष गुनहगार को अंजाम तक पहुंचाना उनका फर्ज है।

गौरतलब है कि मथुरा जेल प्रशासन भी शबनम के ‘डेथ वारंट’ का इंतजार कर रहा है। पवन ने बताया कि डेथ वारंट आने के बाद यदि मथुरा जेल प्रशासन उनसे संपर्क करेगा तो वह तत्काल मथुरा के लिए रवाना हो जाएंगे। अगर शबनम को फांसी होती है तो जाहिर है आजाद भारत में पहली बार किसी महिला को फांसी होगी। (PBNS)

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