हम तो डूबे सनम, तुमको भी ले डूबे: पंजाब के निकाय चुनाव में भाजपा के साथ अकाली दल पर भी भारी पड़े कृषि कानून, दिग्गज भी नहीं बचा पाए अपना गढ़, कांग्रेस की जय-जय

CHANDIGARH: हम तो डूबे सनम, तुमको भी ले डूबे। पंजाब के स्थानीय निकाय चुनाव में अकाली दल और भाजपा के लिए यह कहावत पूरी तरह चरितार्थ हुई है। किसान आंदोलन के साए में हुए इस चुनाव में भाजपा व अकाली दल पर किसानों का गुस्सा साफ नजर आया है। कांग्रेस को इसका सर्वाधिक फायदा हुआ। हालांकि आम आदमी पार्टी भी किसान आंदोलन का ज्यादा फायदा नहीं ले पाई है। सांसद सन्नी देओल समेत भाजपा के तमाम दिग्गज नेता अपने गढ़ नहीं बचा पाए तो शिरोमणि अकाली दल के मुखिया सुखबीर सिंह बादल और उनकी पत्नी एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल के इलाकों में भी किसानों ने बादलों पर जमकर गुस्सा उतारा है। तीन नए कृषि कानूनों पर भाजपा का साथ छोडऩे का भी शिरोमणि अकाली दल को कोई लाभ नहीं हुआ, जबकि पिछली बार भाजपा-अकाली दल को गठबंधन का फायदा हुआ था। कह सकते हैं कि स्थानीय निकाय चुनाव में पंजाब के लोगों ने विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा, शिरोमणि अकाली दल और आम आदमी पार्टी को आइना दिखा दिया है।

पिछली बार भी जीती थी कांग्रेस
हालांकि पंजाब में पिछली बार 2017 के स्थानीय निकाय चुनाव में भी कांग्रेस को बड़ी जीत हासिल हुई थी। उस समय पार्टी को 267 निकायों में जीत हासिल हुई थी। 29 नगर निकायों में 20 में कांग्रेस की विजय हुई थी, जबकि शिरोमणि अकाली दल को 37, भाजपा को 15 और आम आदमी पार्टी को केवल एक वार्ड पर जीत का स्वाद मिला था। बाकी 94 में निर्दलीय जीते थे।

14 फरवरी को हुई वोटिंग, मोहाली का रिजल्ट बाकी
गौरतलब है कि पंजाब में 14 फरवरी को 117 स्थानीय निकायों के चुनाव के लिए वोटिंग हुई थी। इनमें 109 नगर पालिका परिषद और नगर पंचायत हैं, जबकि 8 नगर निगम शामिल हैं। नगर निगम अबोहर, बठिंडा, बाटला, कपूरथला, मोहाली, होशियारपुर, पठानकोट और मोगा हैं। राज्य के निकायों में कुल 2252 वार्ड हैं। कुल 9,222 प्रत्याशियों ने इस बार चुनाव में अपनी तकदीर आजमाई थी। मोहाली नगर निगम चुनाव के लिए वोटों की गिनती आज नहीं हो पाई है। यहां दो बूथों पर विवाद के बाद राज्य चुनाव आयोग आज दोबारा वोटिंग करवा रहा है। सुबह 8 बजे शुरू हुई वोटिंग शाम को 4 बजे तक चलेगी। इसके बाद मोहाली नगर निगम चुनाव की मतगणना कल होगी। तब यहां का रिजल्ट सामने आएगा।

भाजपा व अकाली दल के दिग्गज अपना गढ़ भी नहीं बचा पाए
स्थानीय निकाय चुनाव पर किसान आंदोलन के असर की बात करें तो अबोहर से अरुण नारंग भाजपा विधायक हैं लेकिन यहां नगर निगम के 50 वार्डों में से 49 में कांग्रेस जीती है। केवल एक वार्ड अकाली दल को मिल पाया। होशियारपुर को भी भाजपा का गढ़ माना जाता है। यहां पूर्व मंत्री तीक्ष्ण सूद की पत्नी चुनाव हार गईं। होशियारपुर के 50 वार्डों में से 41 पर कांग्रेस, 4 पर भाजपा, 2 पर आप और 3 अन्य उम्मीदवार जीते हैं। गुरदासपुर से सन्नी देओल भाजपा के सांसद हैं लेकिन यहां सभी वार्डों में कांग्रेस को जीत हासिल हुई है। जलालाबाद से अकाली दल प्रमुख सुखबीर बादल विधानसभा चुनाव लड़ते रहे हैं लेकिन यहां भी कांग्रेस का पचम लहरा है। हरसिमरत कौर बादल बठिंडा से सांसद हैं। यहां के 50 वार्डों में 43 पर कांग्रेस, जबकि 7 वार्डों में अकाली दल के उम्मीदवार जीते हैं। जीरकपुर में भी कांग्रेस ने जीत हासिल की है।

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