पूर्व मेयर प्रदीप छाबड़ा ने चंडीगढ़ शिक्षा विभाग के अफसरों पर लगाया PMO व प्रशासक को गुमराह करने का आरोप

कहा- प्राइमरी स्कूलों के भवन बनाने की संभावनाएं तलाशने की बजाय अधिकारी स्कूलों को करवा रहे बंद

मौलीजागरां इलाके में बच्चों को होगी परेशानी, हो सकता है हादसा

CHANDIGARH, 13 JUNE: आम आदमी पार्टी (AAP) के सह प्रभारी एवं चंडीगढ़ के पूर्व मेयर प्रदीप छाबड़ा ने भाजपा शासित नगर निगम प्रशासन पर चंडीगढ़ के प्राइमरी स्कूलों को जानबूझ कर बंद करने करने के लिए कार्य योजना तैयार करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि इससे शिक्षा के अधिकार (RTE) एक्ट के तहत छोटे बच्चों को शिक्षा लेने में दिक्कत पेश आएगी। छाबड़ा ने कहा कि प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) की ओर से जारी दिशा-निर्देशों का अधिकारी नाजायज फायदा उठा रहे हैं। उन्होंने कहा कि हल्लोमाजरा के टिनशैड में चल रहे स्कूल के भवन के निर्माण के लिए PMO ने शीघ्र कार्य शुरू करने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए थे, जिसके तहत चंडीगढ़ के प्रशासक और उनके सलाहकार ने हल्लोमाजरा का दौरा कर वहां से बच्चे शिफ्ट कर स्कूल का निर्माण शीघ्र करने के आदेश जारी किए लेकिन PMO के आदेशों की कथित आड़ में शिक्षा विभाग के अधिकारी समस्या को हल करने की बजाय उसे जड़ से खत्म कर प्राइमरी स्कूलों को बंद करने की कार्रवाई कर रहे हैं।

प्रदीप छाबड़ा ने कहा कि आम आदमी पार्टी (AAP) के कार्यकर्ताओं ने उन्हें बताया है कि मौलीजागरां में रेलवे कालोनी स्थित प्राइमरी स्कूल वर्षो से रेलवे की जमीन पर चल रहा है और मौली कांप्लेक्स का प्राइमरी स्कूल कालोनी बसाए जाने के बाद से ही हाउसिंग बोर्ड के भवन में चल रहा है लेकिन अधिकारी उसे बंद कर करीब ड़ेढ से दो किलोमीटर दूर मौलीजागरां गांव के पास बन रही नई बिल्डिंग में शिफ्ट करने की तैयारी में लगे हैं। उन्होंने कहा कि अधिकारियों को चाहिए था कि इन दोनों स्कूलों के भवन बनाने के लिए पास में जगह तलाशते और भवन बनाकर उन्हें वहां शिफ्ट कर देते लेकिन अधिकारी प्रशासक और PMO कार्यालय को गुमराह कर स्कूलों को ही बंद कर समस्या को जड़ से खत्म करके बच्चों की शिक्षा पर कुठाराघात कर रहे हैं।

पूर्व मेयर प्रदीप छाबड़ा ने कहा कि प्राइमरी स्कूलों को बंद करने की बजाय संबंधित अधिकारी और प्रशासन उनमें बेहतर सुविधाएं उपलब्ध करवाए और स्कूल भवन बनाए। उन्होंने कहा कि जो अधिकारी स्कूलों को बंद करने में सम्मिलित हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। क्योंकि छोटे बच्चे ड़ेढ से दो किलोमीटर दूर नए स्कूल में भीड़भाड़ से होकर नहीं जा सकते। इससे कभी भी हादसा हो सकता है।

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