श्री चैतन्य गौड़ीय मठ में गोवर्धन पूजा व अन्नकूट महोत्सव मनाया गया, 56 भोग लगाए 

भगवान गोवर्धन गिरिराज जी की हुई महाआरती

CHANDIGARH, 14 NOVEMBER: श्री चैतन्य गौड़ीय मठ, सेक्टर-20 में श्री गोवर्धन पूजा एवं अन्नकूट महोत्सव बहुत ही हर्षोल्लाह एवं विधि विधान से मनाया गया। 

मठ के प्रवक्ता जयप्रकाश गुप्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि प्रातः मंगल आरती के पश्चात प्रभात फेरी का आयोजन किया गया। तत्पश्चात दोपहर तक कथा संकीर्तन चलता रहा। इस अवसर पर भक्तों को संबोधित करते हुए  त्रिडंडी स्वामी श्री वामन जी महाराज जी ने भक्तों को कहा कि आज ही के दिन ब्रजमंडल स्थित स्थान पर भगवान श्री कृष्ण जी ने अपनी सबसे छोटी उंगली पर गोवर्धन गिरिराज पर्वत को उठाकर देवराज इंद्र का घमंड चकनाचूर किया था और ब्रजवासियों की रक्षा की थी। 

ब्रजवासियों ने इंद्र देवता की पूजा करने की बजाय भगवान श्री कृष्ण की पूजा करनी प्रारंभ कर दी थी, इसलिए क्रोध में आकर देवराज इंद्र ने ब्रज मंडल को वर्षा के द्वारा पानी से डुबाने के लिए अपना संकल्प कर लिया था और भारी वर्षा प्रारंभ कर दी थी लेकिन भगवान श्री कृष्ण जी ने गोवर्धन पर्वत को अपनी तर्जनी उंगली पर उठाकर अतिवृष्टि के प्रकोप से भक्तों की रक्षा की थी। इसी उपलक्ष्य पर हजारों वर्षों से यह पावन पर्व पूरे विश्व में गोवर्धन पूजा के रूप में भक्तों द्वारा मनाया जाता है। भक्त लोग गोवर्धन पर्वत की पूरे वर्ष परिक्रमा करते हैं। 

कई भक्त लोग अपनी मनोकामना पूरी होने के पश्चात 22 किलोमीटर की परिक्रमा जमीन पर लेट-लेट कर भी करते हैं। आज मठ मंदिर में सुबह से ही भक्तों में उल्लास का माहौल था। दोपहर को भगवान गोवर्धन गिरिराज जी की महाआरती एवं 56 तरह के व्यंजनों का भोग लगाया गया और परिक्रमा की गई। मठ के प्रबंधक स्वामी गोपाल दास प्रभु जी ने अपने संबोधन में कहा कि गोवर्धन महाराज जी की आज के दिन आराधना करने से व दर्शन करने से भगवान कृष्ण की भक्ति प्राप्त होती है। घर के दुख-कलेश दूर होकर शांति प्राप्त होती है। कार्यक्रम के दौरान भक्तों ने नृत्य संकीर्तन का बहुत आनंद प्राप्त किया। उसके पश्चात स्वादिष्ट प्रसाद भंडारे का आयोजन किया गया व हज़ारों भक्तों ने भगवान का प्रसाद ग्रहण कर आनंद प्राप्त किया।  

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