राज्यपाल की धमकी पंजाब के लोगों के साथ नाइंसाफी: मुख्यमंत्री

वैधानिक बिलों सम्बन्धी राज्यपाल की मनमर्ज़ी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख करेगी पंजाब सरकार

CHANDIGARH, 20 OCTOBER: पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने आज कहा कि ज़िद्दी व्यवहार अपनाने वाले राज्य के राज्यपाल से लम्बित वैधानिक बिलों को पास करवाने के लिए राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटायेगी। 

आज पंजाब विधान सभा के सदन में बहस में हिस्सा लेते हुये मुख्यमंत्री ने कहा कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि नियुक्त किया हुआ राज्यपाल लोकतांत्रिक ढंग से चुनी गई सरकार को जन हितैषी फ़ैसले लेने से रोकने के लिए नाइंसाफी का सहारा ले रहा है। उन्होंने कहा कि राज्यपाल की मनमर्ज़ी कानूनी नज़रिए से टिक नहीं सकेगी और सुप्रीम कोर्ट की तरफ से इसको शुरू से रद्द कर दिया जायेगा। भगवंत सिंह मान ने कहा कि राज्यपाल पंजाबियों को हल्के में ले रहा है और इस ज़िद्दी रवैये के लिए उनको उपयुक्त सबक सिखाया जायेगा। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि जब तक इस मामले का सुप्रीम कोर्ट की तरफ से समाधान नहीं किया जाता, तब तक राज्य सरकार विधान सभा में कोई बिल पेश नहीं करेगी। उन्होंने राज्यपाल को स्पष्ट तौर पर कहा कि वह अपने अड़ियल रवैये से पंजाबियों को धमकाना बंद करें। भगवंत सिंह मान ने कहा कि यह बहुत अजीब बात है कि राज्य के लोगों ने उनको चुना है परन्तु नियुक्त किये राज्यपाल राज्य सरकार के जन कल्याण के कामकाज में रुकावट पैदा कर रहे हैं। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्यपाल राज्य सरकार को लोगों के हित में काम नहीं करने दे रहे। उन्होंने कहा कि यह बड़े दुख की बात है कि राज्य सरकार के पास लोक भलाई के मकसद के लिए बहस करवाने का अधिकार नहीं है और जन हितैषी बिल रुके पड़े हैं जिस कारण राज्य के विकास पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। भगवंत सिंह मान ने कहा कि राज्यपाल के इस तानाशाही रवैये को बर्दाश्त नहीं किया जायेगा और अब सुप्रीम कोर्ट से इंसाफ की माँग की जायेगी। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब सरकार ने विकास को बढ़ावा देने के लिए राज्य का राजस्व बढ़ाने के लिए तीन वित्तीय बिल पेश करने की प्रस्ताव रखा। हालाँकि, उन्होंने कहा कि पंजाब के राज्यपाल ने इन बिलों को सहमति देने की बजाय बिल रोक कर पंजाबियों की पीठ में छुरा घोंपा। भगवंत सिंह मान ने कहा कि यह बहुत दुख की बात है कि राज्यपाल सैशन की कानूनी वैधता पर सवाल उठा रहे हैं जबकि राज्य सरकार को लोगों की भलाई के लिए कोई भी फ़ैसला लेने की इजाज़त नहीं दी जा रही। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्यपाल लोगों को बिजली सब्सिडी और अन्य भलाई पहलकदमियां पिछले तर्क पर सवाल उठा रहे हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को पिछली सरकारों से कर्ज़ विरासत में मिला है क्योंकि 1997 से 2022 तक राज्य में दो व्यक्तियों ने ही शासन किया था। भगवंत सिंह मान ने कहा कि राज्य सरकार कर्ज़ तो उतार देगी परन्तु केरला, पश्चिमी बंगाल और तमिलनाडु के समकक्ष की तरह पंजाब के राज्यपाल को भी राज्य सरकार के कामकाज में रोड़े नहीं अटकाने चाहिए। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि सत्ता में बैठे लोगों के गलत कामों से कर्ज़ पड़ जाता है और राज्यपाल द्वारा बजट सैशन के मौके पर भी विरोधी रवैया अपनाया गया था जिस कारण सुप्रीम कोर्ट से राहत लेने के लिए लोगों के टैक्स के 25 लाख रुपए ख़र्च करने पड़े थे। उन्होंने कहा कि यदि राज्यपाल यह हठ न अपनाते तो यह राशि बचायी जा सकती थी जिससे सरकारी खजाने को होने वाले नुक्सान को रोका जा सकता था। भगवंत सिंह मान ने कहा कि यदि राज्य सरकार कुछ गलत करेगी तो राज्य के लोग उसे वोटों के मौके पर सजा देंगे, इसलिए राज्यपाल को राज्य सरकार के कामकाज में अनावश्यक दख़ल देना नहीं चाहिए। 

मुख्यमंत्री ने इसी तर्ज़ पर 15वीं विधान सभा का नौंवां सैशन बुलाने के लिए 23 नवंबर, 2019 को समकालीन संसदीय मामलों के मंत्री ब्रह्म मोहिन्दरा की तरफ से लिखा एक पत्र भी विधान सभा में पेश किया। उन्होंने कहा कि यह पहली बार नहीं है कि इस तरह का सैशन बुलाया गया है परन्तु राज्यपाल इसमें रुकावटें पैदा कर रहे हैं। भगवंत सिंह मान ने कहा कि इसको सहन नहीं किया जायेगा और हम राज्य और यहाँ के लोगों का बनता हक दिलाने के लिए संघर्ष करेंगे। 

मुख्यमंत्री ने राज्य में पदक लाने के लिए एशियाई खेलों के दल का हिस्सा रहे खिलाड़ियों को बधाई भी दी। उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार ने राज्य में खेल को प्रफुल्लित करने के लिए बड़े प्रयास किये हैं। भगवंत सिंह मान ने कहा कि इसी का नतीजा है कि पंजाबियों ने हाल ही में समाप्त हुई एशियन खेलों में 19 पदक जीते हैं, जो कि अब तक एशियाई खेलों में राज्य के सबसे अधिक पदक हैं। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब का केंद्र सरकार पर पेट्रोल- डीज़ल सेस का 170 करोड़ रुपए का बकाया है। भगवंत सिंह मान ने कहा कि उन्होंने गुरूवार को केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के समक्ष इस मसले को उठाया था और उनसे 250 करोड़ रुपए की माँग की थी। उन्होंने कहा कि केंद्रीय मंत्री ने राज्य को 80 करोड़ रुपए अडवांस देने के लिए सहमति दे दी है जो कि राज्य की भलाई और विकास के लिए सूझबूझसे ख़र्च किये जाएंगे। 

मुख्यमंत्री ने यह भी ऐलान किया कि अमृतसर आने वाले श्रद्धालुओं और सैलानियों की सुविधा के लिए पवित्र शहर में ‘सकायी ट्रांसपोर्ट’ सेवा शुरू की जायेगी। उन्होंने कहा कि शहर के महत्वपूर्ण स्थान जोड़ने के लिए 30-30 यात्रियों के सामर्थ्य वाली केबल कारें शुरू की जाएंगी। भगवंत सिंह मान ने बताया कि यह ट्रांसपोर्ट सेवा वाहगा बार्डर को भी जोड़ देगी। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि दिसंबर के महीने गुरू गोबिन्द सिंह जी के माता जी और साहिबज़ादों को शहीद कर दिया गया था जिस कारण यह समूची मानवता के लिए शौक का महीना है। भगवंत सिंह मान ने कहा कि राज्य सरकार 20 दिसंबर से 30 दिसंबर तक कोई भी खुशी और जश्न का समागम आयोजिन नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि दसमेश पिता के परिवार की तरफ से दिये अतुल्नीय बलिदान के प्रति राज्य सरकार की यह विनम्र सी श्रद्धांजलि होगी। 

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