हरियाणाः कांग्रेस विधायकों ने सरकार की कार्यप्रणाली पर उठाए सवाल, 1500 करोड़ के पब्लिसिटी खर्चे पर मांगा स्पष्टीकरण

कहा- विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता अपने पद के खिलाफ बीजेपी के लिए कर रहे काम

किसान आंदोलन को लेकर बीजेपी के विधायक भी सरकार से हो चुके हैं परेशान

CHANDIGARH: हरियाणा के कांग्रेस विधायकों के एक दल ने आज भूपेंद्र सिंह हुड्डा के आवास पर प्रेस कांफ्रैंस कर विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता पर बीजेपी कार्यकर्ता के रूप में काम करने का आरोप लगाया। कांग्रेस विधायक बीबी बत्रा, जगबीर मलिक, अमित सिहाग, आफताब अहमद, बीएल सैनाी और सुभाष देसवाल ने कहा कि विधानसभा के स्पीकर पंचकूला से बीजेपी के मेयर पद के उम्मीदवार का नामांकन करवाने गए थे, जोकि पूरी तरह से उनके पद की गरिमा के खिलाफ है। इसलिए स्पीकर को अपने पद की मर्यादाओं का पालन करते हुए अपने पद से त्यागपत्र देकर पार्टी के चुनाव कार्य में हिस्सा लेना चाहिए।

अमित शाह की ओर से एमएसपी देने से इंकार करने पर मुख्यमंत्री अपनी कही बात के अनुसार तुरंत दें इस्तीफा

कांग्रेस विधायकों ने हरियाणा सरकार में पब्लिसिटी विभाग के चेयरमैन रहे रॉकी मित्तल की ओर से पब्लिसिटी में 1500 करोड़ रुपए के दुरुपयोग के आरोप लगाए जाने पर सरकार से स्पष्टीकरण देने के अलावा इस मामले पर श्वेत पत्र जारी करने की मांग की । पत्रकार वार्ता के दौरान कांग्रेस विधायक बीबी बत्रा ने कहा कि सरकार की ओर से किसान आंदोलन को कुचलने की हर कोशिश की जा रही है । उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल और उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला नए कानून के बाद एमएसपी नहीं मिलने पर इस्तीफा देने की बात कहते थे, अब अमित शाह ने ही किसानों को एमएसपी देने से मना कर दिया है तो मुख्यमंत्री को अपनी कहीं बात को पूरा करते हुए नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दे देना चाहिए।

सरकार किसान आंदोलन को कुचलने के लिए कर रही हर प्रकार की कोशिशः बीबी बत्रा

बत्रा ने प्रधानमंत्री से आग्राह किया कि किसानों का मुद्दा बहुत बड़ा मुद्दा है। ये मुद्दा सीधे तौर पर देश की 80 प्रतिशत जनता के साथ जुड़ा हुआ है। इसलिए प्रधानमंत्री को किसानों को बातचीत के लिए बुलाकर उनकी मांगों को पूरा करना चाहिए। बत्रा ने सवाल उठाया कि पहले प्रधानमंत्री और बीजेपी के नेता खुद ही स्वामी नाथन आयोग और एमएसपी की बात करते थे, तो फिर आज वे एमएसपी देने से क्यों कतरा रहे हैं। उन्होंने कहा कि यदि कृषि कानूनों में किसानों के हित में प्रावधान किए गए हैं तो फिर सरकार किसानों को इसकी सच्चाई क्यों नहीं समझा पा रही है । इतना ही नहीं, यदि ये कानून सच में किसानों के हित में है तो फिर प्रकाश सिंह बादल ने बीजेपी से नाता क्यों तोड़ दिया। बत्रा ने कहा कि आजादी के बाद ये किसान आंदोलन देश का सबसे बड़ा किसान आंदोलन है, इसलिए सरकार को तुरंत इसका समाधान निकालना चाहिए।

कुछ पूंजीपतियों के हाथ में कृषि क्षेत्र को गिरवी रखने के लिए सरकार ने बनाए कानूनः जगबीर मलिक

इस दौरान विधायक जगबीर मलिक ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने किसानों के मुद्दे पर राज्यपाल को पत्र लिखकर विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की मांग की है, जिससे ये पता चल सके कि कौन सा विधायक असल में किसानों के साथ है और कौन सरकार के साथ है । मलिक ने कहा कि किसानों के हित में मोदी सरकार अपनी हठधर्मिता को छोड़कर कृषि कानूनों को वापस लेकर फिर से किसान संगठनों के साथ बातचीत कर नए कानून बनाने चाहिए । उन्होंने कहा कि सरकार ने नए बिलों पर ना लोकसभा में कोई चर्चा करवाई, न ही किसानों से कोई चर्चा की और ना ही कृषि विशेषज्ञों से इस बारे में कोई बात की, केवल कुछ पूंजीपतियों के हाथ में कृषि क्षेत्र को गिरवी रखने के लिए सरकार ने आनन-फानन में इन कानूनों को लागू कर दिया, जोकि आने वाले समय में देश का दुर्भाग्य साबित होगा ।

जगबीर मलिक ने कहा कि अब तक करीब 20 किसान इस आंदोलन में शहीद हो चुके है औ बीजेपी हर प्रकार का हथकंडा अपनाकर इस आंदोलन को तार-तार कर फुट डालने की कोशिश कर रही है, जबकि बीजेपी और आरएसएस के सदस्य किसानों के आंदोलन में शामिल होकर खालिस्तान के नारे लगाते हुए पकड़े जा रहे है । मलिक ने कहा कि आज बीजेपी के लोग एसवाईएल के मुद्दे को उठा रहे है, जबकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के समय केंद्र में बीजेपी, हरियाणा में बीजेपी और पंजाब में प्रकाश सिंह बादल की सरकार थी, उस समय बीजेपी ने इस मुद्दे को नहीं उठाया, लेकिन आज वे इस आंदोलन में झगड़ा पैदा करने के लिए कई प्रकार के हथकंडे अपना रहे हैं।

मलिक ने कहा कि आज बीजेपी के लोग किसानों पर अभद्र टिप्पणी करते हुए उनके पहने हुए कपड़ों और खाने पर सवाल उठा रहे है, लेकिन वे ये भूल गए है कि आज किसान आंदोलन एक जन आंदोलन बन चुका है। इसलिए इतनी ठंड के बावजूद हर वर्ग का किसान इस आंदोलन में शामिल हो रहा है, जिससे रोजाना आंदोलन में शामिल हो रहे लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है । मलिक ने मांग की कि केंद्र सरकार हर प्रदेश का विधानसभा सत्र बुलाकर कृषि कानूनों पर चर्चा करवाकर वहां से मिले सुझावों के अनुसार उस पर कार्रवाई करते हुए बदलाव करे।

कांग्रेस विधायकों ने कहा कि विपक्ष की ओर से की गई विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की मांग पर मुख्यमंत्री को बड़ा दिल दिखाते हुए सत्र बुलाना चाहिए, क्योंकि इस सत्र में पता चल जाएगा कि कौन विधायक किसान के मुद्दे पर उसके साथ है और कौन सरकार के साथ है। उन्होंने दावा किया कि नए कृषि कानूनों को लेकर आज बीजेपी के भी कईं विधायक परेशान है। इसलिए सरकार विशेष सत्र को बुलाने से बच रही है ।

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