हुड्डा ने हरियाणा सरकार को दिखाया आइना: कहा- बजट देख ऐसा लगा जैसे सीखदड़ मिस्त्री ने गाड़ी का इंजन तो खोल दिया लेकिन वापस बांधना नहीं आया

महिला दिवस पर पेश हुए बजट में आशा व आंगनवाड़ी वर्कर्स की हुई अनदेखी: हुड्डा

CHANDIGARH, 21 MARCH: हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने आज विधानसभा में बजट पर बोलते हुए आंकड़ों के साथ प्रदेश सरकार को आइना दिखाया। उन्होंने कहा कि इस साल का बजट देखकर ऐसा लगता है कि किसी सीखदड़ मिस्त्री ने गाड़ी का इंजन तो खोल लिया लेकिन उसे वापिस बांधना नहीं आया। हुड्डा ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर बजट पेश किया गया तो उम्मीद थी कि इसमें महिलाओं के लिए कोई बड़ा एलान जरुर किया जाएगा। लेकिन बजट में लंबे समय से आंदोलन कर रहीं आशा और आंगनवाडी वर्कर्स तक की मांगों को अनसुना कर दिया।

सरकार ने कहा कि यह टैक्स फ्री बजट है लेकिन महंगाई के नाम पर जनता पर जो बोझ पड़ रहा है, उसे सरकार किस श्रेणी में रखेगी? महंगाई गैर-कानूनी टैक्स होता है। सरकार द्वारा टैक्स फ्री कहकर जनता को महंगाई के नाम पर गुम चोट मारी गई है। यह वो चोट है जो दिखाई नहीं देती लेकिन उसका दर्द बहुत ज्यादा होता है। बढ़ती महंगाई का सामना करने में यह बजट पूरी तरह नाकाम साबित होगा।

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि यह सरकार मिनिमम गवर्नमेंट और मैक्सिमम गवर्नेंस का नारा उछालती रहती है। लेकिन हरियाणा में सरकार ने इस नारे को अमलीजामा पहनाने का काम किया है। क्योंकि इस सरकार में सरकारी महकमों में करीब एक लाख पद खाली पड़े हुए हैं। आज स्कूलों में टीचर्स नहीं हैं, अस्पतालों में डॉक्टर नहीं हैं और सरकारी दफ्तरों में कर्मचारी नहीं है। कर्मचारियों की भर्तियां ना करके सरकार ने खुद को मिनिमम करने का काम किया है। इस तरह से सरकार अपने मैक्सिमम गवर्नेंस के नारे को चरितार्थ करने के लिए ग्राम पंचायत के चुनाव नहीं करवा रही है। चुनावों को टालकर सुशासन सहयोगी जैसी गैर-जरूरी नियुक्तियां की जा रही हैं।

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि आज प्रदेश में समस्याओं का अंबार लगा हुआ है। प्रदेश महंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, कृषि संकट, बिगड़ती कानून व्यवस्था, आर्थिक मंदी, घटता निवेश, बढ़ता कर्ज, गिरता शिक्षा स्तर, स्वास्थ्य सेवाओं का भाव, कर्मचारियों में असंतोष, बदहाल सड़कें, बढ़ती गरीबी, घटते वन जैसी समस्याओं से जूझ रहा है।

हुड्डा ने कहा कि मौजूदा सरकार ने प्रदेश को कर्ज के जाल में फंसाने का काम किया है। कर्ज लेने की दर जीएसडीपी की विकास दर से ज्यादा है। सरकार को कर्ज उतारने के लिए भी कर्ज लेना पड़ रहा है। अगर कुल मिलाकर देखा जाए तो आज हरियाणा पर लगभग 3 लाख करोड़ रुपए का कर्ज हो गया है।

सदन में सीएमआईई की रिपोर्ट का जिक्र करते हुए हुड्डा ने कहा कि जिस रिपोर्ट को हरियाणा सरकार खारिज करती है, उसी रिपोर्ट को दिखाकर यूपी में बीजेपी वोट मांग रही थी। बेरोजगारी का समाधान करने की बजाए सरकार समस्या से नजर फेर रही है।

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि नई शिक्षा नीति लागू करने की बात करने वाली सरकार ने उसके मुताबिक बजट को जीएसडीपी का 6 प्रतिशत करने की बजाए, इसबार शिक्षा के बजट में 1% की कटौती कर दी। शिक्षा के प्रति सरकार के रवैये का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि आज प्रदेश के 46 कॉलेज ऐसे हैं जिनके पास अपनी इमारत तक नहीं है और 127 कॉलेज में प्रिंसिपल तक नहीं है। इसी तरह स्वास्थ्य क्षेत्र की बात की जाए तो सरकार कई साल से हर जिले में मेडिकल कॉलेज बनाने का ऐलान कर रही है। लेकिन आज तक एक भी मेडिकल कॉलेज नहीं बनाया गया।

किसानों का जिक्र करते हुए हुड्डा ने कहा कि गन्ना किसानों की लगभग आधी पेमेंट बाकी पड़ी हुई है। बाजरा समेत अलग-अलग फसलों के लिए किसानों को एमएसपी नहीं मिलती है और आलू जैसी सब्जियां उगाने वाले किसानों को घाटे में अपनी फसल बेचनी पड़ रही है। ना किसानों को फसलों का उचित रेट मिलता है और ना ही वक्त पर डीएपी और यूरिया। सरकार इस साल यानी 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने की बात करती आई है। लेकिन असल में उसने महंगाई बढ़ाकर किसानों की लागत दोगुनी करने का काम किया है।

हुड्डा ने गन्ने का उदाहरण देते हुए कहा कि अगर सरकार किसानों की आय डबल करना चाहती है तो उसे गन्ने का जो रेट हमारी सरकार में ₹310 था, उसको बढ़ाकर अबतक ₹620 रुपये करना चाहिए था। इसी तरह से बाकी फसलों के रेट में भी इसी बढ़ोतरी होनी चाहिए।

खिलाड़ियों की अनदेखा का मुद्दा भी हुड्डा ने सदन में उठाया। उन्होंने कहा कि मूक बधिर खिलाड़ियों के साथ भेदभाव हो रहा है। उन्हें पदक जीतने पर अन्य खिलाड़ियों के समान पुरस्कार राशि मिलनी चाहिए। इसी तरह खिलाड़ियों के लिए ग्रुप ए, बी और सी कैटेगरी की नौकरियों में कोटा जारी रखना चाहिए।

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने एकबार फिर कर्मचारियों की पुरानी पेंशन स्कीम बहाली की मांग उठाई। उन्होंने कहा कि अगर राजस्थान और छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार कर्मचारियों की इस मांग को मान सकती है तो हरियाणा सरकार इसे क्यों नहीं मान रही।

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