ANews Office की खबर पर मुहर: चंडीगढ़ कांग्रेस कमेटी में प्रदीप छाबड़ा के नजदीकी गायब, विरोधियों को तवज्जो, चावला-छाबड़ा गुटों में बढ़ी दूरी

CHANDIGARH: पार्टी की गुटीय राजनीति, तमाम शंका और आशंकाओं के बीच आखिरकार पांच महीने बाद चंडीगढ़ प्रदेश कांग्रेस (Chandigarh Pradesh Congress) की नई कमेटी शनिवार को देर शाम घोषित कर दी गई। जैसा कि इस कमेटी को लेकर ANews Office ने गत 17 जुलाई को बताया था, घोषित कमेटी लगभग वैसी ही है। चंडीगढ़ प्रदेश कांग्रेस में नेतृत्व परिवर्तन से उपजे असंतोष को कम करने, तमाम सियासी और धार्मिक-जातीय समीकरणों को साधने की कोशिश तथा नगर निगम चुनाव की तैयारी की छाप पूरी कमेटी पर स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है लेकिन जिस खास वजह से इस कमेटी की घोषणा का बेसब्री से इंतजार किया जा रहा था, उसमें भी पंजाब की तरह चंडीगढ़ को भी साफ संदेश दे दिया गया है कि पार्टी हाईकमान के फैसले के आगे किसी तरह के दबाव, विरोध और असंतोष के लिए कोई जगह नहीं है। लिहाजा, पूर्व चंडीगढ़ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रदीप छाबड़ा के बेहद नजदीकियों का नई कमेटी में पत्ता साफ कर दिया गया है।

17 जुलाई को ही मिल गई थी मंजूरी
बता दें कि गत 9 फरवरी को कांग्रेस हाईकमान ने तत्कालीन चंडीगढ़ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रदीप छाबड़ा को पद से हटाकर सुभाष चावला को नया प्रदेश प्रधान बना दिया था। ऐसे में नई प्रदेश कमेटी का गठन भी जरूरी हो गया था। 21 फरवरी को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद पर सुभाष चावला की ताजपोशी के समारोह में ही संगठन प्रभारी हरीश रावत ने चावला को 15 दिन में प्रदेश कमेटी और 25 दिन में ब्लॉक व बूथ कमेटियों का गठन कर देने का निर्देश दिया था लेकिन प्रदेश नेतृत्व परिवर्तन के बाद पार्टी में बने गुटीय व कलह के माहौल के चलते लगभग 5 महीने बाद प्रदेश कमेटी के गठन की नौबत आ पाई। यह बात अलग है कि इसके पीछे संगठन प्रभारी हरीश रावत के पंजाब मामलों में व्यस्त रहने तथा कोरोना संक्रमित हो जाने को भी जिम्मेदार बताया जाता रहा लेकिन चंडीगढ़ प्रदेश कांग्रेस की नई कमेटी के गठन के बाद इसको राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी ने गत 17 जुलाई को मंजूरी दे दी थी। इसके बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुभाष चावला कमेटी की घोषणा खुद करना चाहते थे लेकिन अपरिहार्य कारणों से कमेटी की घोषणा को रोक लिया गया था। अब कल देर शाम को कांग्रेस के दिल्ली मुख्यालय से ही इस कमेटी की घोषणा की गई।

अधिकांश चेहरे पुरानी कमेटी के
चंडीगढ़ प्रदेश कांग्रेस की घोषित नई कमेटी से यह भी साफ हो गया है कि यहां पार्टी के मौजूदा हालात व नगर निगम चुनाव नजदीक देखते हुए पार्टी हाईकमान ने इस बार पुरानी कमेटी के साथ ही चुनाव मैदान में उतरने का फैसला किया। लिहाजा, चावला की टीम में अधिकांश चेहरे पुरानी कमेटी के ही शामिल किए गए हैं। कुछ पुराने पदाधिकारियों को चावला की टीम से बाहर कर दिया गया है, जिनको पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रदीप छाबड़ा का बेहद नजदीकी माना जाता है। उनके स्थान पर नए चेहरों को लाया गया है। इसके अलावा कुछ पदों की संख्या बढ़ाते हुए इस बार प्रदेश कार्यकारिणी को वृहद रूप दिया गया है। इसमें सभी जातियों, धर्मों, आयु वर्गों तथा महिला-पुरुषों आदि को उचित प्रतिनिधित्व देने की कोशिश की गई है। हालांकि अब इस संतुलन पर सवाल भी उठ रहे हैं। पार्टी के कुछ नेताओं का मानना है कि हाईकमान काफी कोशिश के बाद भी कमेटी को संतुलित नहीं कर पाई है।

पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप छाबड़ा नाराज !
ANews Office
ने गत 17 जुलाई को ही बता दिया था कि चंडीगढ़ प्रदेश कांग्रेस की नई कमेटी में पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप छाबड़ा के नजदीकियों का पत्ता साफ कर दिया गया है। शनिवार को देर शाम इस कमेटी की घोषणा में इस पर मुहर भी लग गई। सूत्रों के मुताबिक प्रदीप छाबड़ा ने नई कमेटी के लिए अपने करीब आधा दर्जन से ज्यादा समर्थकों के नाम हाईकमान को अलग से भेजे थे लेकिन इनमें से सिर्फ उन्हीं एकाध को कमेटी में जगह मिल पाई, जो नेतृत्व परिवर्तन के बाद सुभाष चावला खेमे में सक्रिय हो गए थे। चूंकि ये सियासत है और सियासत में कभी कुछ स्थाई नहीं होता, लिहाजा दो नावों में पैर रखकर बैठे कुछ नेताओं को भी कमेटी में जगह देकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुभाष चावला ने उनके दोनों पैर अपनी नाव में खींच लेने की कोशिश की है। कुछ ऐसे नेता भी कमेटी में उचित जगह पा गए हैं, जिन्होंने वक्त की नजाकत को समझते हुए अपनी गुटीय दिशा बदलकर पलटी मार ली। यही नहीं, प्रदीप छाबड़ा के विरोधी रहे और प्रदेश नेतृत्व परिवर्तन में मुख्य भूमिका निभाने वाले नेताओं को तो कमेटी में न केवल उचित स्थान, बल्कि अप्रत्याशित प्रतिनिधित्व भी मिल गया है। लिहाजा, छाबड़ा की तरफ खड़े होकर नई प्रदेश कांग्रेस कमेटी को देख रहे नेताओं की मानें तो इस कमेटी ने छाबड़ा व चावला खेमों के बीच की खाई को कम करने के बजाय और ज्यादा चौड़ा कर दिया है। क्योंकि पहले से ही नाराज प्रदीप छाबड़ा के लिए उनके विरोधियों ने बगावती सुरों की गुंजाइश के अलावा अब कुछ नहीं छोड़ा है। छाबड़ा ने नई कमेटी की घोषणा के साथ ही सोशल मीडिया पर अपनी एक पोस्ट से यह स्पष्ट भी कर दिया है। इससे माना जा रहा है कि आने वाले समय में यहां कांग्रेस के लिए परंपरागत चुनौतियों के अलावा नए चैलेंज भी खड़े हो सकते हैं।

चंडीगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी की घोषणा के बाद प्रदीप छाबड़ा ने सोशल मीडिया पर ये लिखा ?

प्रिय कांग्रेसजन,
जो साथी आज कांग्रेस द्वारा गठित कमेटी में पदाधिकारी बनाये गए
उन को नई जिम्मेवार मिलने बहुत मुबारकबाद।

चंडीगढ़ कांग्रेस की लीडरशिप ने आज चंडीगढ़ कांग्रेस मुक्त करने की नई पारी शुरु की
जब इतनी लंबी लिस्ट बनाई गई तब 30-30 साल काम करने वाले साथियों को क्यों दरकिनार किया गया व कांग्रेस के वफ़ादार लोगो को क्यों नही पदाधिकारी बनाया गया।
ऐसा पहली बार हुआ कि मनीमाजरा से एक भी उपाध्यक्ष या महासचिव नही बनाया गया।
महिलाओं को 30% जगह क्यों नही दी गयी।
इतनी तानाशाही से नही बल्कि निम्रता से पार्टी चलती है।

क्यों नही बहुत काबिल साथियों को उन की योग्यता मुताबिक जगह मिली।
चुनाव सर पर है। कई साथियों को एक से ज्यादा कमेटी में भी डाला गया। हमे एतराज नहीं लेकिन साथ में कुछ साथी और भी शामिल किए जाते तो पार्टी मजबूत होती।
आज के बाद रोज नए खुलासे के साथ आऊँगा….
हक के लिए लडूंगा,आप लोगो के साथ हूं।
कांग्रेसी था कांग्रेसी हूं।
नेता नही आप का साथी,भाई व बेटा
प्रदीप छाबड़ा
पूर्व मेयर व पूर्व अध्यक्ष चंडीगढ़ कांग्रेस

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गत 17 जुलाई को प्रकाशित खबर ?

मिल गई चंडीगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी को हाईकमान की हरी झंडी, छाबड़ा के बेहद नजदीकियों का पत्ता साफ
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