पंजाब में नाइट कर्फ्यू 1 जनवरी तक बढ़ाया, समारोहों में व्यक्तियों की संख्या भी सीमित की

इनडोर कार्यक्रमों में व्यक्तियों की संख्या 100 तक और आउटडोर कार्यक्रमों में 250 तक सीमित रखने के आदेश

सह-रोगों से पीड़ित 70 साल से अधिक उम्र के कोविड मरीजों के लिए घरेलू एकांतवास खत्म

CHANDIGARH: शादियों और पार्टियों के दौरान कोविड के प्रतिबंधों का बड़े स्तर पर उल्लंघन होने की शिकायतों के दरमियान पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने आज राज्य में एक जनवरी, 2021 तक इन्डोर और आउटडोर जमावड़ों की संख्या क्रमवार 100 और 250 तक रखने के आदेश दिए हैं। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने सभी शहरों और कस्बों में रात का कर्फ्यू एक जनवरी, 2021 तक बढ़ाने के भी आदेश जारी किए हैं।

कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने डी.जी.पी. दिनकर गुप्ता को मैरिज पैलेसों और अन्य स्थानों पर बन्दिशें सख्ती से लागू करने के हुक्म दिए हैं और उल्लंघन करने की सूरत में मेज़बान पर जुर्माना लगाने के लिए कहा। राज्य में अधिक मृत्यु दर का नोटिस लेते हुए मुख्यमंत्री ने कर्फ्यू की बन्दिशें (रात 10 बजे से प्रात:काल 5 बजे तक) एक जनवरी तक बढ़ाने के हुक्म दिए हैं। इससे पहले रात का कफ्र्यू एक दिसंबर से 15 दिसंबर तक लगाया गया था। कोविड के जायजे के लिए उच्च स्तरीय मीटिंग के दौरान मुख्यमंत्री ने सह-रोगों से पीडि़त 70 साल से अधिक उम्र के पाजि़टिव मरीज़ों के लिए घरेलू एकांतवास ख़त्म करने के हुक्म दिए, बशर्ते कि घर में उचित मैडिकल सुविधाएं मुहैया हो सकती हों।

वर्चुअल मीटिंग के दौरान स्वास्थ्य सचिव हुसन लाल ने बताया कि बड़ी संख्या में कोविड मौतें घरेलू एकांतवास मामलों में सामने आई हैं और मौतों को रोकने के लिए मुख्यमंत्री ने सभी प्राइवेट अस्पतालों की विस्तृत जांच के हुक्म दिए हैं, जिससे यह यकीनी बनाया जा सके कि सिर्फ स्तर-3 के उचित बुनियादी ढांचे और मानव संसाधन वाले अस्पतालों को ही कोविड मरीज़ दाखि़ल करने की इजाज़त दी जाये। उन्होंने कहा कि ऐसी सुविधाओं की कमी वाले अस्पतालों को मरीज अन्य अस्पतालों में रैफर कर देना चाहिए। कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि चाहे पिछले तीन हफ़्तों से पंजाब में घट रही पॉजि़टिव दर स्वागतयोग्य है परन्तु मृत्यु दर अभी भी चिंता का विषय है।

उन्होंने डी.जी.पी. को मास्क पहनने और सामाजिक दूरी समेत कोविड के सुरक्षा उपायों की सख्ती से पालना को यकीनी बनाने के हुक्म दिए। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग को आर.टी.पी.सी.आर. सैंपलिंग/टेस्टिंग दर प्रतिदिन 30,000 की सीमा बरकरार रखने के लिए कहा और संभावित तौर पर कोरोना फैलाने वालों को शामिल करने के लिए लक्षित सैंपलिंग पर और ज़ोर दिया जाये। उन्होंने कहा कि जिलों को ‘इतिहास’ पोर्टल का पूरा प्रयोग करने के लिए प्रोत्साहन देना चाहिए, जिससे संभावित हॉटस्पॉट (प्रभावित स्थानों) की पहचान करने और वहां उनकी सैपलिंग को केंद्रित किया जा सके।

उन्होंने कंटेनमैंट और माइक्रो-कंटेनमैंट ज़ोनों में टेस्टिंग बढ़ाने और 100 प्रतिशत सैपलिंग को यकीनी बनाने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया। मुख्यमंत्री ने स्वास्थ्य विभाग को यह भी कहा कि दिल्ली में मामलों की बढ़ी संख्या से पेश ख़तरे के मद्देनजऱ वहां से वापस आने वाले किसानों की सेहत की जांच की जाए। स्वास्थ्य सचिव हुसन लाल ने इस मौके पर बताया किया कि अभी तक राज्य में 35 लाख नमूनों की जांच की जा चुकी है, जिनमें से 1.5 लाख नमूने पॉजि़टिव पाए गए हैं। हालाँकि, पंजाब में दूसरी लहर धीमी ही रही है, परन्तु उन्होंने यह भी बताया कि स्वास्थ्य विभाग किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार है।

उन्होंने इस पक्ष पर भी गौर फरमाया कि 87 प्रतिशत मौतें 45 साल से अधिक उम्र के व्यक्तियों की हुई हैं और निजी ट्रशरी केयर सेंटरों में मौतों की दर 50 प्रतिशत है। पंजाब सरकार के स्वास्थ्य सलाहकार डा. के.के. तलवाड़ ने मीटिंग के दौरान उन कदमों संबंधी जानकारी दी जो कि मृत्यु दर को और घटाने के लिए उठाए जा रहे हैं। इस पक्ष पर गौर करते हुए नवंबर के दौरान 3.2 प्रतिशत रह जाने के बावजूद भी सी.एफ.आर. अभी भी चिंता का विषय है, डा. तलवाड़ ने कहा कि मरीज़ों की लगातार निगरानी की जा रही है और हरेक हफ्ते अस्पताल स्तर पर विस्तृत रूप में मृत्यु दर सम्बन्धी अध्ययन किया जा रहा है।

उन्होंने यह भी जानकारी दी कि इन-हाऊस बल्ड गैस ऐनालाइजर और हाईफ्लो नेजल कैनूलास की उपलब्धता यकीनी बनाई जा रही है, खासकर तीसरे स्तर पर और इसके साथ ही आई.सी.यू. में प्रति 2 बिस्तरों पर 1 नर्स और दिशा-निर्देश आधारित इलाज प्रणाली अपनाई जा रही है। उन्होंने यह भी बताया कि मौतों की ज़्यादा संख्या का कारण सह-रोगों का होना है।

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