कवियों ने अपनी कविताओं के जरिए लोगों को कोरोना से किया सतर्क

CHANDIGARH: दुनिया में कोरोना के फिर से जोर पकड़ने को देखते हुए कवियों ने कविताओं के द्वारा जनता को सतर्क किया। संवाद साहित्य मंच की ओर से कोठी नंबर चार सौ साठ फेस वन मोहाली में काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी में ट्राइसिटी के दो दर्जन से अधिक हिंदी, पंजाबी और उर्दू के कवियों ने भाग लिया। गोष्ठी की मुख्य अतिथि अमेरिका से पधारी कवियत्री डॉ सरिता मेहता, अध्यक्षता कवियत्री डॉ उमा शर्मा और विशेष अतिथि कवि डॉ अजीत कमल सिंह हमदर्द थे। कार्यक्रम के आरंभ में कंचन त्यागी ने भजन प्रस्तुत किया और संचालन नीरू मित्तल नीर ने किया।

कविवर प्रेम विज ने कोरोना पर प्रभावशाली कविता पेश करते हुए कहा “कोरोना पूरी तरह से गया नहीं है पूरी तरह से दबा नहीं है”। नीरू मित्तल नीर ने “पूछ रही चिड़िया क्यों है सन्नाटा कहाँ गए दो पैरों वाले जंतु सारे” प्रस्तुत की। डॉ उमा शर्मा ने अपनी कविता “मुझे अबला नारी मत समझना सबला बन कर दिखलाऊंगी”, डॉ अनीश गर्ग ने अपनी कविता “कोरोना हमारा क़ीमती ख़ज़ाना ले गया दोस्तों के साथ बैठे जैसे ज़माना हो गया” सुनाई।

कार्यक्रम में अशोक नादिर, हरेंद्र सिन्हा, डॉ देवराज त्यागी, बीके गुप्ता, संगीता शर्मा कुंद्रा, विमला गुगलानी, डेजी बेदी जुनेजा, राशि श्रीवास्तव, सागर सिंह भूरिया, आर के भगत, संतोष गर्ग, अनिल चिंतित ने कोरोना से बचकर रहने का संदेश देती हुई कविताएं सुनाई। राज विज, सरोज शर्मा, गुरपाल कौर, चंद्रकांता शर्मा, रानी शर्मा, बलजिंदर कौर ने अपने गीतों से माहौल खुशनुमा बना दिया।

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