केंद्र द्वारा गेहूं की MSP में मामूली वृद्धि शर्मनाक, आंदोलनकारी किसानों के जख्मों पर नमक छिड़कने जैसा: Captain Amarinder

CHANDIGARH: केंद्र की कैबिनेट द्वारा गेहूँ की MSP में की गई वृद्धि को शर्मनाक करार देते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह (CM Captain Amarinder Singh) ने बुधवार को केंद्र सरकार को मुसीबत में घिरे किसानों, जो कि पिछले 10 महीनों से कृषि कानूनों के खि़लाफ़ आंदोलन करने के लिए सडक़ों पर उतरे हुए हैं, के जख़़्मों पर नमक छिडक़ने के लिए आड़े हाथों लिया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जब भारत का कृषि क्षेत्र कठिन समय में से गुजऱ रहा है और किसान उचित MSP के लिए आंदोलन कर रहे हैं, ऐसे समय भाजपा (BJP) के नेतृत्व वाली भारत सरकार ने अन्नदाताओं के साथ भद्दा मज़ाक किया है।

गेहूँ की MSP को प्रति क्विंटल 2830 रुपए (2830 Rs. per quintal) निर्धारित किये जाने (केंद्र द्वारा आज ऐलानी 2015 रुपए प्रति क्विंटल (2015 Rs. per quintal) की नाममात्र सी कीमत की जगह) की माँग करते हुए कैप्टन अमरिन्दर सिंह (CM Captain Amarinder Singh) ने कहा कि किसानों को उपभोक्ताओं को आर्थिक छूट देने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि यह राहत तो वह पिछले काफ़ी समय से देते आ रहे हैं। उन्होंने आगे कहा, ‘‘अब समय आ गया है कि केंद्र सरकार किसानों की मुश्किलों की तरफ ध्यान दे और उनको बनते हक दे।’’

उन्होंने आगे कहा कि भाजपा (BJP) के नेतृत्व वाली सरकार की तरफ से किसानों को लगातार अनदेखा किये जाने के कारण खेती क्षेत्र, जो कि देश की सबसे बड़ी आर्थिक ताकत है, तबाही के किनारे पर आ गया है। उन्होंने आगे पूछा, ‘‘ केंद्र सरकार क्यूं हमारे किसानों के साथ इस तरह का बुरा सलूक कर रही है।’’ 

गेहूँ की MSP को प्रति क्विंटल 2015 रुपए (2015 Rs. per quintal) निर्धारित किये जाने को पंजाब के किसानों की उम्मीद से कहीं नीचे बताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने राज्य में गेहूँ की उपज की लागत को मुख्य रखते हुये प्रति क्विंटल 2830 रुपए (2830 Rs. per quintal) MSP का सुझाव दिया था। उन्होंने आगे कहा कि सीएसीपी (CSP) के अनुमानों के मुताबिक बीते साल सिर्फ़ विस्तृत उत्पादन लागत ही 3.5 फीसदी बढ़ गई थी और इससे तो लागत खर्चों के बीच की मुद्रा स्फीति भी पूरी नहीं पड़ती।

मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि गेहूँ की MSP रबी सीजन (2021-22) (Rabi Season 2021-2022) में 1975 रुपए प्रति क्विंटल (1975 Rs. per quintal) से बढ़ती हुई रबी(2022-23) के लिए 2015 रुपए प्रति क्विंटल तक पहुँच गई है जोकि बीते साल के मुकाबले सिर्फ़ 2 फीसदी विस्तार है। परन्तु, लागत खर्च काफ़ी बढ़ गए हैं। उन्होंने आगे कहा कि इस साल मजदूरी में 7 फीसदी का विस्तार हुआ है और इसके साथ ही डीज़ल की कीमतें 4 प्रतिशत और मशनीरी की कीमत इस समय के दौरान तकरीबन 20 प्रतिशत बढ़ गई है।

उन्होंने ज़ोर देकर कहा क्योंकि गेहूँ की काश्त की लागत में उपरोक्त पक्ष काफ़ी अहम भूमिका निभाते हैं, इसलिए MSP में 2 फीसद का मामूली सा विस्तार किये जाने से पंजाब के किसानों का घाटा पूरा नहीं होगा और उनके मुनाफों पर भी प्रभाव पड़ेगा।

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