श्रीकृष्ण ने आज ही के दिन दिए थे गीता के उपदेशः अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव के संत सम्मेलन में स्वामी रामदेव, सुधांशु महाराज समेत जुटे कई संत

CHANDIGARH: अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव-2020 के उपलक्ष्य में कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड द्वारा कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के श्रीमद्भगवद गीता सभागार में संत सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस मौके पर केन्द्रीय जल शक्ति राज्यमंत्री रत्न लाल कटारिया ने मुख्यातिथि के रूप में शिरकत की।

इससे पहले संत सम्मेलन में हरियाणा सार्वजनिक उपक्रम ब्यूरो के चेयरमैन एवं भाजपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सुभाष बराला ने आए हुए अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नेतृत्व में अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव की शुरुआत हुई है। कुरुक्षेत्र गौरवशाली भूमि है, इस महोत्सव में बड़ी संख्या में नागरिक आते हैं, लेकिन कोविड-19 की वजह से इस बार गीता महोत्सव नियमानुसार ही आयोजित किया गया है।

संत सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंद महाराज ने कहा कि गीता ऐसा ग्रंथ है जो प्रत्येक पल को जीने का एहसास करवाता है। ब्रह्मनिवारण के लिए गीता है तथा गीता ज्ञान बढ़ाती है तथा गीता विश्व विजय रूपी ग्रंथ है। अज्ञानता पर गीता प्रहार करती है तथा हर व्यक्ति को अपने जीवन में गीता का आत्मसात करना चाहिए। गीता का गान पूरी दुनिया में है, गीता एक ऐसा ग्रंथ है जो हमें बुरे विचारों से बचाती है। हमें पावन ग्रंथों का सम्मान करना चाहिए। गीता में प्रतीकों का महत्व है और उन प्रतीकों का भगवान ने गीता में वर्णन किया है।

गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज ने आए हुए संतों का स्वागत करते हुए कहा कि शुक्रवार को महर्षि शुक्ल एकादशी है, इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने गीता का उपदेश दिया था। उन्होंने कहा कि अनेक वर्षों से कुरुक्षेत्र में गीता उत्सव होता था, लेकिन पिछले 6 वर्षों से गीता उत्सव अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव स्तर पर मनाया जा रहा है, यह अपने आप में दिव्य है। उन्होंने आए हुए सभी संतों का परिचय भी दिया। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल कहीं पर भी जाते हैं तो उनके साथ गीता की पुस्तक सदैव साथ रहती है तथा वह नियमित रूप से गीता पाठ भी करते हैं। सभी को गीता के ज्ञान को अपने जीवन में आत्मसात करना चाहिए।

योग गुरू स्वामी रामदेव ने कहा कि हम सब एक ईश्वर की संतान हैं हमारा धर्म व संस्कृति सबको एक मानती है। हर पल भगवान काम करने की शक्ति देता है, इसलिए व्यक्ति को कर्म करते रहना चाहिए और फल की चिंता नहीं करनी चाहिए। योग गुरू स्वामी रामदेव ने राज्यपाल श्री सत्यदेव नारायण आर्य व मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल को साधुवाद देते हुए कहा कि कोविड-19 के बावजूद महोत्सव का बहुत अच्छा आयोजन किया गया है।

इस मौके पर सुधांशु महाराज ने कहा कि गीता श्रेष्ठ शक्ति है, व्यक्ति को श्रीकृष्ण की तरह होना चाहिए जो बिना लड़े जीते तथा कर्ण की तरह होना चाहिए जो किसी भी हालात में अपनों का साथ न छोड़े। भारतीय संस्कृति के बारे में विस्तार से बताया और कहा कि गीता में 12 विद्याएं मिलती हैं, आदर्श मनुष्य कैसे अच्छा हो सकता है इसके बारे में गीता में विस्तार से बताया गया है।

आरएसएस के राष्ट्रीय प्रचारक इन्द्रेश ने कहा कि श्रीमदभगवद गीता में से अनेक चीजों की उत्पत्ति हुई है। विश्व में जितने भी ग्रंथ है उनमें गीता सबसे प्राचीन है।स्वामी साक्षी गोपाल जी महाराज ने कहा कि भगवद गीता मानव जीवन का शास्त्र है। गीता साधारण किताब नहीं बल्कि एक शास्त्र है। संत सम्मेलन में उदासीन अखाड़ा के महामंडलेश्वर बंसीपुरी जी ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने ब्रह्मविद्या का बोध करवाया है, सनातन संस्कृति को एकत्रित करना है तो यह ज्ञान गीता देती है।उदासीन अखाड़ा हरिद्वार से आए संत महेश्वरदास ने कहा कि भारतीय संस्कृति में प्रतीकों का महत्व है और उन प्रतीकों का भगवान ने गीता में वर्णन किया है। वृक्ष और सरोवर हमारी विरासत हैं, गीता के मार्ग पर चलना चाहिए।संत सम्मेलन में गुजरात से आए संत परमानंद ने कहा कि भारतीय संस्कृति में गीता का स्थान सर्वोच्च है तथा गीता नीति नियमों का ज्ञान देती है। संत सम्मेलन में धीरज जी गिरि, सम्पूर्णानंद जी सहित कई संत मंच पर मौजूद थे।

संत सम्मेलन में आए हुए सभी अतिथियों को शॉल भेंट कर तथा स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। संत सम्मेलन में मंच का संचालन केयूके के युवा एवं सांस्कृतिक कल्याण विभाग के निदेशक महासिंह पुनिया ने किया।

इस मौके पर राज्यपाल की सचिव एवं केडीबी सदस्य सचिव जी. अनुपमा, उपायुक्त शरणदीप कौर बराड़, केडीबी के मानद सचिव मदन मोहन छाबडा, केयूके के वीसी सोमनाथ सचदेवा, हरियाणा योग परिषद के चेयरमैन डॉ. जयदीप आर्य, हरियाणा सरस्वती धरोहर बोर्ड के उपाध्यक्ष धुम्मन सिंह किरमच सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

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