गढ़वाल सभा चंडीगढ़ में छिड़ी वर्चस्व की जंगः मौजूदा पदाधिकारियों ने विरोधियों को गढ़वाल भवन में नहीं करने दी मीटिंग, विरोधियों ने तख्ता पलट के लिए कसी कमर, एक महीने का अल्टीमेटम

CHANDIGARH: चंडीगढ़ में रह रहे उत्तराखंड मूल के लोगों के बीच गढ़वाल सभा चंडीगढ़ पर वर्चस्व को लेकर जंग छिड़ गई है। गढ़वाल सभा चंडीगढ़ के मौजूदा पदाधिकारियों पर असंवैधानिक रूप से संगठन पर काबिज रहने तथा संगठन के संविधान की धज्जियां उड़ाने के आरोप लगा रही अखिल भारतीय उत्तराखंड महासभा चंडीगढ़ ने आज गढ़वाल सभा चंडीगढ़ के मौजूदा पदाधिकारियों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। शुरूआती नतीजा यह है कि अखिल भारतीय उत्तराखंड महासभा चंडीगढ़ की आज पूर्व निर्धारित मीटिंग के लिए गढ़वाल सभा ने सेक्टर-29 स्थित गढ़वाल भवन के गेट बंद कर दिए। ऐसे में उत्तराखंड महासभा को अपनी यह मीटिंग गढ़वाल भवन के गेट पर ही करनी पड़ी। बलवीर तोपवाल की अध्यक्षता में हुई इस मीटिंग में सर्वसम्मति से ऐलान किया गया कि गढ़वाल सभा के मौजूदा पदाधिकारियों को एक अंतिम मेमोरेंडम दिया जाएगा। यदि एक महीने में इसका कोई सकारात्मक परिणाम नहीं मिला तो गढ़वाल भवन के बाहर अनिश्चितकालीन धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिया जाएगा। साथ ही पांच मेंबरी कमेटी को गढ़वाल सभा का विधिवत रूप से कार्यभार सौप दिया जाएगा।

उत्तराखंड समाज के वरिष्ठ नेता कुंदन लाल उनियाल ने बताया कि अखिल भारतीय उत्तराखंड महासभा चंडीगढ़ के तत्वावधान तथा बलवीर तोपवाल की अध्यक्षता में आज गढ़समाज के प्रबुद्ध एवं वरिष्ठ सदस्यों की बुलाई गई विशेष बैठक की पूर्व सूचना गढ़वाल सभा के मौजूदा प्रधान एवं स्थानीय पुलिस-प्रशासन को पहले ही दे दी गई थी। इसके बावजूद गढ़वाल सभा के प्रधान ने भवन का गेट बंद कर दिया। उनियाल ने कहा कि चंडीगढ़ में रह रहे गढ़ समाज का यह दुर्भाग्य है कि अपना भवन होते हुए भी उसे आज मजबूरन भवन के बाहर अपनी बैठक करनी पड़ी। उन्होंने बताया कि 11 जुलाई 2021 को इसी भवन में हुई अखिल भारतीय उत्तराखंड महासभा चंडीगढ़ की बैठक में 5 सदस्यीय एक कमेटी, जिसका प्रावधान सभा के संविधान की धारा 3 में अंकित है, का गठन किया गया था। क्योंकि पिछले चार वर्षों से गढ़वाल सभा के वर्तमान पदाधिकारी असंवैधानिक तरीके से भवन पर बैठे हुए हैं, जबकि गढ़वाल सभा के संविधान के अनुसार प्रत्येक वर्ष सभा की आम बैठक बुलाना अनिवार्य है तथा 3 वर्ष की समाप्ति पर सभा के नए पदाधिकारियों का चुनाव कराना भी आवश्यक है परंतु वर्तमान पदाधिकारी संविधान की पूर्णतया अवहेलना कर रहे हैं और सभा के संसाधनों का अपनी सुविधानुसार दुरुपयोग कर रहे हैं।

कुंदन लाल उनियाल ने बताया कि आज की बैठक इसी दुरुपयोग को रोकने एवं सभा में उत्पन्न हुए गतिरोध को समाप्त करने के लिए बुलाई गई थी, ताकि पांच मेंबरी कमेटी, जिसकी की सूचना रजिस्ट्रार ऑफिस में पहले ही दी जा चुकी है, को सभा का पदभार आगे की कार्यवाही के लिए सौंपा जा सके। उनियाल ने बताया कि आज की बैठक में सभी वक्ताओं ने गढ़वाल सभा की वर्तमान स्थिति के लिए वर्तमान प्रधान एवं उसके पदाधिकारियों को जिम्मेदार माना। बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि सभा के पदाधिकारियों को एक और अंतिम मेमोरेंडम दिया जाएगा । यदि एक महीने में कोई सकारात्मक परिणाम नहीं आया तो सभा के प्रबुद्ध सदस्यों द्वारा गढ़वाल सभा के बाहर अनिश्चितकालीन धरना-प्रदर्शन शुरू किया जाएगा और पांच मेंबरी कमेटी को गढ़वाल सभा का विधिवत रूप से सभा का कार्यभार सौप दिया जाएगा।

बैठक में कुन्दन लाल उनियाल, बीबी बहुगुणा, जयकृष्ण नैथानी, शैलेश शर्मा, धीरज राणा, बुद्धि चन्द डोटियाल, जगदीश बंगारी, राजेंद्र नौडियाल, बलवीर बागड़ी, अर्जुन नेगी, भीम सिंह गुसाईं, एमएन शुक्ला, चैन सिंह राणा, उमानन्द भदूला, धर्मपाल रावत, श्रृषि भट्ट, रमेश भट्ट, प्रदीप रावत, पुष्कर खत्री, बलवीर रावत, गजेन्द्र नेगी, प्रकाशी गुसाईं, हेमलता मिश्रा, सोनू रावत, रेखा डंगवाल, लाजवंती देवी , विजय शर्मा, अवतार राणा, मकान सिंह राणा, कुलदीप विजोला, भरोसा सिंह गुसाईं, रणजीत भण्डारी, कमल सिंह पंवार, हरीश बड़थ्वाल, वीरेंद्र बहुगुणा एवं विभिन्न उत्तराखंडी संस्थाओं के प्रधान तथा महासचिवों ने भाग लिया।

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