व्यंग्य: मैं आम आदमी हूं…

मैं आम आदमी हूं। कभी किसी की टोपी पर चिपका नजर आता हूं तो कभी आरके लक्ष्मण के कार्टूनों में दिखता हूं। या फिर ‘वाग्ले की दुनियाÓ का हिस्सा बन जाता हूं। कभी-कभी मुसद्दी लाल की तरह आफिस-आफिस भटकता हूं। मुझे ही मुद्दा बनाकर लोग लोकसभा पहुंचते हैं। मजबूत कुर्सियों पर परलोक सभा जाने तक डटे रहते हैं। मेरा उपयोग अक्सर वोट डालने, रैलियों की शोभा बढ़ाने, भरी दोपहरी में कैंडल मार्च करवाने, जिन्दाबाद-मुर्दाबाद चिल्लवाने, बिना दर्द के हाय-हाय करवाने में होता है। सूत्रीय कार्यक्रम हो या कोई रोजगार योजना, मनरेगा हो या ऋण वितरण समारोह, किसान आन्दोलन हो या अध्यापक आन्दोलन…मेरे बहाने ही पूरा धंधा चलता है। नेता किसी भी दल का हो, मैं ही केंद्र बिंदु हूं।

मैं दीन हूं, असहाय हूं, बेचारा हूं, नारों का मारा हूं। चुनावों से पहले देवता हूं, प्रत्याशियों का खेवता हूं। चुनाव परिणामों के बाद धोबी के कुत्ते सा हो जाता हूं। न जीती पार्टी का, न हारी का। स्मार्ट कार्ड हो या राशन कार्ड, पीला कार्ड हो या हरा, आधार हो या निराधार, मुझे अभी तक यह समझ नहीं आया कि गरीबी की रेखा कहां से शुरू होती है, कहां खत्म? मैं इसके ऊपर हूं या नीचे? सीजन आम का हो या गन्ने का, चूसा मैं ही जाता हूं।

सर्दियां आते ही मुझ पर कंबल डालने की तथाकथित सोशल वर्करों और एनजीओज की लाइनें लग जाती हैं। अगले दिन उनकी खबर और फोटो दोनों छप जाती हैं। मैं आदमी नहीं एक मुद्दा हूं…जिसे बार-बार प्रयोग किया जाता है। मुद्दा आरक्षण का हो या संरक्षण का, धार्मिक आंदोलन हो या सामाजिक, तपती दोपहरी हो या हड्डी तोड़ ठंड, बाग शाहीन हो या जहीन, जंतर-मंतर हो या किसी कस्बे का चौराहा…सिंघू बार्डर हो या टीकरी…एक आम आदमी ही भीड़ बनाता है। मैं भीड़ का भूगोल हूं। भीड़ का रिमोट नेता के हाथ होता है। मुझे नहीं मालूम मैं यहां क्यों आया हूं? बस लाया गया हूं। वह पत्थर मरवाए या आग लगवाए, बसें तुड़वाए या नारे लगवाए, लाठी-गोली खिलवाए या सर्दी में पुलिस से नहलवाए…यह आम आदमी की ही नियति है। मंदिर तोडऩा हो या मस्जि़द, बलि का बकरा आम आदमी ही बनता है। द् ग्रेट कॉमन मैन।

गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस, नेताओं के जन्म दिवस, यहां तक कि चाकलेट दिवस भी आकर चले जाते हैं, कॉमन मैन-डे कभी नहीं आता। आम आदमी का हर दिवस एक सा ही रहता है। देखना ये है कि हम भी नेता, तुम भी नेता, देश की नैया कौन खेता?

  • मदन गुप्ता सपाटू, 458, सैक्टर-10, पंचकूला-134109, मो-9815619620

error: Content can\\\'t be selected!!