पूर्व सांसद सत्यपाल जैन ने चंडीगढ़ नगर निगम कानून में संशोधन की उठाई मांग, प्रशासक को लिखा पत्र

अगले वर्ष अपने अस्तित्व के 25 वर्ष पूरे कर रहा है चंडीगढ़ नगर निगम

CHANDIGARH: चंडीगढ़ के पूर्व सांसद एवं भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य सत्य पाल जैन ने चंडीगढ़ के प्रशासक से आग्रह है कि चूंकि अगले वर्ष चंडीगढ़ नगर निगम अपने अस्तित्व के 25 वर्ष पूरे कर रहा है, इसलिये वह एक समिति बनाकर इसके 25 वर्ष की कार्यप्रणाली की समीक्षा करें तथा चंडीगढ़ नगर निगम कानून में आवश्यक संशोधनों पर गंभीरता से विचार करें, जिनमें महापौर का कार्यकाल एक वर्ष से बढ़ाकर ढाई वर्ष या पांच वर्ष करना, हरियाणा व अन्य राज्यों की तर्ज पर महापौर का चुनाव सीधे चंडीगढ़ की जनता द्वारा किया जाना तथा पार्षदों पर दल बदल विरोधी कानून लागू करना भी शामिल है।

जैन ने कहा कि कुछ बिंदु, जिन पर गंभीर चिंतन आवश्यक है, में महापौर का चुनाव चंडीगढ़ की जनता द्वारा सीधा चुनाव करना, उसका कार्यकाल एक वर्ष से बढ़ाकर पांच वर्ष करना, यदि अप्रत्यक्ष चुनाव भी रखना है तो गुप्त मतदान के बजाय पार्षदों द्वारा हाथ उठाकर करना, पार्षदों पर दल बदल विरोधी कानून लागू करना, महापौर को नगर निगम के अधिकारियों की गोपनीय रिपोर्ट लिखने का अधिकार देना, नगर निगम एवं चंडीगढ़ प्रशासन के बीच अधिकारों एवं कर्तव्यों का स्पष्ट विभाजन तथा पार्षदों के अधिकारों एवं कर्तव्यों का स्पष्ट उल्लेख आदि शामिल हैं।

चंडीगढ़ के प्रशासक वीपी सिंह बदनौर को लिखे एक पत्र में जैन ने कहा कि नगर निगम का पहला चुनाव 1996 में हुआ था तथा उसके बाद 2001, 2006, 2011 एवं 2016 में हुआ ओर अगला चुनाव दिसम्बर 2021 में होगा जब नगर निगम अपने जीवन के 25 वर्ष पूरे कर लेगा। उन्होंने कहा कि इन 25 वर्षो में चंडीगढ़ के सभी प्रमुख दल सत्ता में रहे हैं तथा शहर ने लगभग 25 महापौर, लगभग 150 नागरिक बतौर निगम पार्षद देखें हैं।

उन्होंने कहा कि इन सभी ने समय-समय पर अपने अनुभवों के आधार पर नगर निगम कानून में संशोधनों के सुझाव दिये हैं। इतना ही नहीं चंडीगढ़ प्रशासन ने भी कुछ समय पहले ऐसे संशोधनों का मसौदा तैयार किया था जो बाद में बीच में ही रह गया।

जैन ने कहा कि चूंकि अगले नगर निगम चुनाव में एक वर्ष वाकि है तथा सभी लोग नगर निगम कानून में कोई न कोई संशोधन आवश्य चाहते हैं इसलिये यह आवश्यक है कि इन सभी संशोधनों पर गंभीरता से विचार करते हुये, तथा चंडीगढ़ के विकास को ध्यान में रखते हुये कुछ ठोस निर्णय लिये जायें और बाद में वह केन्द्र सरकार को भेजें जाएं, ताकि समय रहते चंडीगढ़ नगर निगम कानून में समूचित संशोधन किए जा सकें।

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