Haryana Budget: बेरोजगारी, महंगाई को रोकने और निवेश को बढ़ाने में नाकाम साबित होगा ये बजट- हुड्डा

पूर्व मुख्यमंत्री बोले- किसान, मजदूर, कर्मचारी, छोटा व्यापारी व गृहणी विरोधी है ये बजट, इससे हर वर्ग निराश

CHANDIGARH, 23 FEBRUARY: हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने राज्य की बीजेपी-जेजेपी सरकार द्वारा आज पेश किए गए बजट पर निराशा जाहिर की है। उनका कहना है कि ये बजट किसान, मजदूर, कर्मचारी, छोटा व्यापारी, ग्रामीण, शहरी, गरीब, मध्यम वर्ग, युवा और गृहणी विरोधी है। बजट ने हर वर्ग को खाली हाथ छोड़ दिया है। मौजूदा सरकार ने बजट को सिर्फ भाषणबाजी बनाकर रख दिया है, क्योंकि जो बजट में बोला जाता है, उसको कभी जमीन पर उतारा ही नहीं जाता। सरकार बजट को सिर्फ औपचारिकता समझती है। वह इसमें किए गए वादों को लागू करने बारे कभी गंभीरता नहीं दिखाती।

हुड्डा ने कहा कि सरकार ने शिक्षा पर 20,340 करोड़ रुपए खर्च करने का ऐलान किया है जो कि जीडीपी का महज 2% है। जबकि नई शिक्षा नीति 6% खर्च करने की सिफारिश करती है। इसी तरह सरकार ने स्वास्थ्य सेवाओं पर 9,647 करोड़ रुपए खर्च करने का ऐलान किया है जोकि बजट का सिर्फ 5.2% है, जबकि राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 में साल 2020 तक ही स्वास्थ्य सेवाओं पर 8% खर्च की सिफारिश की गई थी। कृषि क्षेत्र की बात की जाए तो सरकार ने इसपर 7342 करोड़ रुपए खर्चने का ऐलान किया है। यह कुल बजट का सिर्फ 3.9% है जबकि हरियाणा की 60% आबादी कृषि पर निर्भर है। इतनी बड़ी आबादी के लिए 4% से भी कम खर्च करना उसके साथ अन्याय है। इतना ही नहीं यह बजट किसानों की आय डबल करने के वादे पर भी पूरी तरह खामोश है। सरकार का यह रवैया उसकी किसान और कृषि विरोधी नीति को दर्शाता है।

बजट से स्पष्ट हो गया है कि सरकार पर कर्ज लगातार बढ़ता जा रहा है। सरकार ने 2,85,885 करोड़ तक कुल आंतरिक कर्ज का लक्ष्य रखा है। इस बार सरकार 64,840 करोड़ रुपए का लोन लेने जा रही है। बढ़ते कर्ज की वजह से उसके मूल और ब्याज को देने में ही सरकार को 56,769 करोड़ रुपए खर्च करने पड़ेंगे। ब्याज व मूल का भुगतान करने के बाद सरकार के पास पूंजीगत व्यय के लिए सिर्फ 8071 करोड़ रुपये ही बचते हैं। यानी सरकार कर्ज लेकर कर्ज उतारने का खेल खेलने में लगी है। इसलिए कांग्रेस की मांग है कि सरकार बढ़ते कर्ज पर श्वेत पत्र जारी करे ताकि जनता को कुल आंतरिक ऋण, सार्वजनिक खाता जमा (लघु बचत) और सरकार की गारंटी पर लिए गए ऋण (पीएसयू द्वारा लिया गया ऋण) की स्पष्ट जानकारी मिल सके।

सरकार ने पूंजी निर्माण पर कुल 18,460 करोड़ रुपए खर्च करने का ऐलान किया है। जोकि कुल बजट का सिर्फ 10% है। देश में सबसे ज्यादा बेरोजगारी झेल रहे हरियाणा के लिए महज इतने खर्च से जरूरत के मुताबिक रोजगार सृजन संभव नहीं है। यह ऊंट के मुंह में जीरे के समान है।

प्रति व्यक्ति आय को लेकर सरकार ने हवा हवाई दावे किए हैं। क्योंकि सरकार ने प्रति व्यक्ति आय 2,96,685 रुपये बताई है। इस हिसाब से प्रत्येक परिवार की सालाना आय 14,83,425 रुपए बनती है। प्रदेश के 30 लाख ऐसे परिवार हैं, जो सीधे तौर पर कृषि पर निर्भर करते हैं। एनएसएसओ की रिपोर्ट बताती है कि किसान परिवारों की कुल आय 22,841 रुपये महीना यानी 2,75,000 रुपये सालाना से ज्यादा नहीं है। वहीं दूसरी तरफ सरकार दावा करती है कि प्रदेश में 29 लाख से अधिक परिवार (जिनकी आय 1.80 लाख से कम है) आयुषमान योजना के लाभार्थी हैं। ऐसे में 2,96,685 प्रति व्यक्ति आय का दावा धरातल पर नजर नहीं आता।

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि बढ़ती महंगाई को रोकने में भी यह बजट नाकाम साबित होगा। क्योंकि पड़ोसी राज्य राजस्थान में कांग्रेस सरकार ने 500 रुपये में रसोई गैस सिलेंडर देने का ऐलान किया है। ऐसे में हरियाणा की जनता भी प्रदेश सरकार से ऐसे किसी ऐलान की उम्मीद कर रही थी। लेकिन बजट से लोगों की उम्मीदों को धक्का लगा। सरकार ने पेट्रोल-डीजल की महंगाई से राहत देने के लिए वैट में कटौती का भी ऐलान नहीं किया। सरकार ने महंगाई से त्रस्त जनता को अपने हाल पर छोड़ दिया है।

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