गांधी स्मारक भवन में श्रद्धापूर्वक मनाई गई कस्तूरबा गांधी की 78वीं पुण्यतिथि

CHANDIGARH, 22 FEBRUARY: कस्तूरबा गांधी की 78वीं पुण्यतिथि मातृ दिवस के रूप में गांधी स्मारक भवन सेक्टर 16-ए चंडीगढ़ में गांधी स्मारक भवन के प्रभारी धर्मपाल के नेतृत्व में श्रद्धा पूर्वक मनाई गई। कार्यक्रम का प्रारंभ सर्वधर्म प्रार्थना से किया गया। इस अवसर पर अपने सम्बोधन में उन्होंने बताया कि कस्तूरबा का जन्म 11 अप्रैल, 1869 को हुआ था। उनका विवाह 13 वर्ष की आयु में गांधी के साथ हुआ था। दक्षिण अफ्रीका में उन्होंने गांधी के साथ वहां रह रहे हिंदुस्तानियों की हालत सुधारने के लिए अनेक कार्यक्रम किए। हिंदुस्तान आने पर उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया और गांधी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर कार्य किया। सुभाष चंद्र बोस ने उनके बारे में कहा है कि वो आजादी की लड़ाई में चमकदार उदाहरण थीं।

उन्होंने बताया कि वे “दक्षिण अफ्रीका में सत्याग्रह के बाद से ही वो अपने महान पति के साथ परीक्षाओं और कष्टों में शामिल थीं. ऐसा करीब 30 साल तक चला. कई बार जेल जाने के कारण उनका स्वास्थ्य प्रभावित हुआ लेकिन अपने 74वें साल में भी जेल जाने से उन्हें जरा सा भी डर नहीं लगा। महात्मा गांधी ने जब भी सविनय अवज्ञा आंदोलन चलाया, उस संघर्ष में कस्तूरबा पहली पंक्ति में उनके साथ खड़ी रहीं। हिंदुस्तान की बेटियों के लिए चमकते हुए उदाहरण के रूप में हिंदुस्तान की आजादी की लड़ाई में अपनी बहनों से पीछे नहीं रहीं तथा शहीद हुई।

सुभाष चंद्र बोस ने उनके बारे में कहा है कि कस्तूरबा एक शहीद की मौत मरी हैं। 4 महीने से अधिक समय से वो हृदयरोग से पीड़ित थीं. लेकिन हिंदुस्तानी राष्ट्र की इस अपील को कि मानवता के लिए कस्तूरबा को खराब स्वास्थ्य के आधार पर जेल से छोड़ दिया जाए, हृदयहीन अंग्रेज सरकार ने अनसुना कर दिया। शायद अंग्रेज उम्मीद लगाए बैठे थे कि महात्मा गांधी को मानसिक पीड़ा पहुंचा कर वो उनके शरीर और आत्मा को तोड़ सकते थे. उन्हें आत्मसमर्पण के लिए मजबूर कर सकते थे। इन पशुओं के लिए मैं केवल अपनी घृणा व्यक्त कर सकता हूं जो दावा तो आजाद, न्याय और नैतिकता का करते हैं लेकिन असल में ऐसी निर्मम हत्या के दोषी हैं. वो हिंदुस्तानियों को समझ नहीं पाए। 22 फरवरी 1944 को पुणे के आगाखां महल में उन्होंने अपने कारावास के दौरान अंतिम सांस ली। उनका पूरा नाम कस्तूरबाई माखनजी कापड़िया था।

गांधी स्मारक निधि के पूर्व कार्यकर्ता डॉ. देवराज त्यागी ने कस्तूरबा गांधी को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि गांधीजी की पत्नी बनना कोई आसान काम नहीं था। ये दोधारी तलवार पर चलने जैसा था। गांधी स्मारक भवन के मुख्य चिकित्सक डॉ. एम.पी. डोगरा ने कहा कि कस्तूरबा गांधी अनेक कार्यों में हमेशा महात्मा गांधी के साथ रहती थी। महात्मा गांधी के अनेक काम ऐसे होते थे जिनमें कस्तूरबा गांधी के लिए प्रेरणा स्रोत थी।
गांधी स्मारक भवन के कार्यकर्ता पापिया चक्रवर्ती ने राष्ट्रमाता कस्तूरबा गांधी को श्रद्धांजलि देते हुए रमेश चंद्र शर्मा द्वारा लिखित कविता प्रस्तुत की। इस कार्यक्रम में आनन्द राव, अमित एवं गांधी स्मारक भवन के सभी कार्यकर्ताओं के साथ-साथ चंडीगढ़ के गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

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