जिसको मैं की हवा लगी, उसको फिर न कोई दुआ लगी…

चंडीगढ़ के मिनी टैगोर थिएटर में ‘काव्य सरिता’ कार्यक्रम में बही प्रेम की काव्य धारा….

CHANDIGARH, 4 SEPTEMBER: चंडीगढ़ के मिनी टैगोर थिएटर में बृहस्पति कला केंद्र चंडीगढ़ व संस्कार भारती चंडीगढ़ के सौजन्य से ‘काव्य सरिता’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें चंडीगढ़ ट्राइसिटी के कवियों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। इस कार्यक्रम में मंच संचालन जानी-मानी कवयित्री श्रीमती नीलम त्रिखा ने किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार श्रीमती सुदेश मोदगिल ने की।

आयोजक संगठन के अध्यक्ष प्रोफेसर सौभाग्य वर्धन ने बताया कि हर महीने पहले रविवार को यह कार्यक्रम किया जाता है। इस बार जाने-माने सात साहित्यकारों ने इसमें हिस्सा लिया। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन से हुआ। सभी ने मां शारदे को नमन किया और उसके बाद सुरजीत धीर ने मां सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। काव्य सरिता का आरंभ गणेश दत्त की रचना से हुआ। उसके बाद डॉ. वंदना खन्ना, बालकृष्ण गुप्ता, डॉक्टर त्रिपत मेहता, सुश्री अनुष्का तिवारी, श्रीमती नीलम त्रिखा, प्रोफेसर सौभाग्यवर्धन व सुदेश मोदगिल नूर ने अपनी काव्य प्रस्तुति दी। इस कार्यक्रम में आयोजक संगठन के अध्यक्ष यशपाल कुमार, मंत्री मनोज कुमार सिंह, अध्यक्ष प्रोफेसर सौभाग्य वर्धन व कोषाध्यक्ष गोपाल शरण गुप्ता सहित युवा प्रमुख मनोज कुमार ने कार्यक्रम के आयोजन में सराहनीय भूमिका निभाई।

कार्यक्रम में नारायण डोगरा,विनीत मेहता, महिमा, रजनी पाठक, ज्ञानचंद, एडवोकेट ए सिंह, पाल अजनबी, सत्यवती आचार्य, मनोज सिंह, यशपाल कुमार, महेंद्र प्रसाद शर्मा, सुरजीत धीर, सचिन खन्ना सहित अनेक लोगों ने शिरकत की। कवि गणेश दत्त ने अपनी रचना के माध्यम से बहुत ही सुंदर संदेश सभी को दिया-
इस धरा का, इस धरा पर सब धरा रह जाएगा….
बालकृष्ण गुप्ता ने कहा- किसी को भी किसी भी तरह से अपने अंदर अहम नहीं लाना चाहिए। उन्होंने अपनी कविता में कहा- गंगा के तट पर सभी एक हैं..
साथ ही अपनी दूसरी कविता दंगल के माध्यम से कहा- सभी जगह हो रहा है दंगल…
डॉक्टर वंदना खन्ना ने अपनी कविता में कहा- मैं उसे भारत की बेटी हूं जिसे सोने की चिड़िया कहा जाता है….
डॉ. त्रिपत मेहता ने मुझे भरनी है ऊंची उड़ान…कविता सुनाई।
युवा कवयित्री अनुष्का तिवारी ने युवाओं के लिए बहुत ही सुंदर संदेश अपनी कविता के माध्यम से दिया। श्रीमती नीलम त्रिखा ने अपनी कविता में कहा- पकड़ लो हाथ मेरे सनम जगत में भीड़ भारी है….
दूसरी कविता में कहा-
मैं ढूंढता ही रहा बस दूसरों में कमियां और भूल गया कि मुझ में भी तो हैं कितनी कमियां। साथ ही नारी और बेटियों पर अपने भाव प्रकट किए। श्रीमती सुदेश मोदगिल नूर ने प्रेम पर अपनी रचना सुनाई। प्रोफेसर सौभाग्य वर्धन ने हास्य कविता के साथ-साथ मन के भाव कविता सुनाई। अपने संदेश में उन्होंने कहा कि साहित्यकार समाज को राह दिखाने का काम करता है। उन्हें अपना मन बड़ा रखना चाहिए और जिसको मैं की हवा लगी… न उसको फिर कोई दुआ लगी…सुनाकर वाहवाही लूटी। अध्यक्ष यशपाल कुमार ने सभी का धन्यवाद व्यक्त किया।

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